मंडी शहर, हिमाचल प्रदेश में घूमने के लिए शीर्ष 10 जगहें

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Golden Temple, जिसे हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है, सिख धर्म का सबसे पवित्र मंदिर है। यह भारत के पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में स्थित है। Golden Temple को 16वीं शताब्दी में सिखों के पांचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव ने बनवाया था। यह मंदिर एक चारदीवारी से घिरा हुआ है और इसके चारों ओर एक कृत्रिम झील है। मंदिर का गुंबद और दीवारें सोने से मढ़ी हुई हैं, इसलिए इसे Golden Temple कहा जाता है। Golden Temple सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला है और यह भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।

इस मंदिर का निर्माण गुरु अर्जुन देव ने 1588 में शुरू किया था और यह लगभग 1604 में पूरा हुआ था। गुरु अर्जुन देव ने इस मंदिर को सभी धर्मों के लोगों के लिए एक साथ पूजा स्थल के रूप में बनाया था। उन्होंने कहा था कि सभी धर्मों के लोग इस मंदिर में आकर प्रार्थना कर सकते हैं और भगवान को याद कर सकते हैं। Golden Temple ने सिख धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस मंदिर में कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं, जिनमें गुरु अर्जुन देव की हत्या और सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का जन्म शामिल है।

Golden Temple एक  बहुत ही सुंदर मंदिर है। इसका गुंबद और दीवारें सोने से मढ़ी हुई हैं और यह चारों ओर से एक कृत्रिम झील से घिरा हुआ है. मंदिर परिसर में एक विशाल रसोई भी है, जहां हर दिन हजारों लोगों के लिए भोजन तैयार किया जाता है। Golden Temple एक शांतिपूर्ण और पवित्र स्थान है और यह सभी धर्मों के लोगों के लिए यह एक आकर्षण का केंद्र है।

मारा भीमाकाली मंदिर

मारा भीमाकाली मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर डिस्ट्रिक्ट में स्थित है। यह मंदिर नदी के किनारे स्थित है और मंडी का मुख्य मंदिर है। यह मंदिर मां भीमाकाली को समर्पित है और इसे बहुत ही सुंदर बनाया गया है। इसकी रचना भगवान श्रीकृष्ण ने बाणासुर और जुबान असुर का वध करने के बाद की थी। इस मंदिर का निर्माण यादवों के शासनकाल में हुआ था और यहां पर हर साल काली पूजा की जाती है।

गुरुद्वारा श्री गुरु गोविंद सिंह जी

यह गुरुद्वारा भी मंडी शहर में स्थित है और यहां पर 336 साल पुराना है। इस गुरुद्वारे में भगवान शिव की एक विशाल पंचमुखी प्रतिमा स्थापित है। गुरुद्वारे के बीच में एक छबील का लंगर भी है जिसमें लोगों को खाना दिया जाता है।

पंचवक्त्र महादेव मंदिर

पंचवक्त्र महादेव मंदिर भी मंडी शहर के निकट स्थित है। यह मंदिर पंचमुखी महादेव को समर्पित है और इसका निर्माण 16वीं सदी में हुआ था। इस मंदिर की वास्तुकला बहुत अद्भुत है और इसे देखना एक अनुभव है।

बाबा भूतनाथ टेंपल

बाबा भूतनाथ टेंपल भी मंडी शहर में स्थित है। यह टेंपल राजा अश्वसेन ने 1527 में बनवाया था। यह भगवान शिव को समर्पित है और इसकी रहस्य की कहानी बहुत प्राचीन है।

विक्टोरिया ब्रिज

विक्टोरिया ब्रिज हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर में स्थित है। यह पुराना ब्रिज है जिसे 1872 में बनाया गया था। यह ब्रिज बहुत ही सुंदर और ऐतिहासिक है।

घंटाघर

घंटाघर 1920 में बनाया गया था। यह इंग्लिश शैली में निर्मित है और इसे राजा अश्वसेन द्वारा बनवाया गया था।

अन्य मंदिर

मंडी शहर में और भी कई मंदिर हैं जिन्हें आप देख सकते हैं। इनमें से कुछ हैं: शंभू महादेव मंदिर, बारूद वाला मंदिर, गायत्री टेंपल, गोपाल मंदिर, राम मंदिर आदि।

मंडी शहर ने अपनी प्राचीन और ऐतिहासिक महत्ता के कारण अपने पर्यटन स्थलों के लिए मशहूरता प्राप्त की है। यहां पर आपको धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व के साथ-साथ अद्भुत सजावट और कलाकृतियों का भी आनंद मिलेगा।

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स्वर्ण मंदिर अमृतसर शहर के केंद्र में स्थित है। यह मंदिर एक कृत्रिम झील के बीच में स्थित है, जिसे सरोवर कहा जाता है। स्वर्ण मंदिर के चारों ओर एक चारदीवारी है, जिसमें चार द्वार हैं। मंदिर के अंदर एक विशाल हॉल है, जिसे अमृतसर कहा जाता है। अमृतसर में गुरुग्रंथ साहिब, सिखों का पवित्र ग्रंथ रखा गया है.
स्वर्ण मंदिर को स्वर्ण मंदिर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका गुंबद और दीवारें सोने से मढ़ी हुई हैं। स्वर्ण मंदिर को सोने से मढ़ने की परंपरा 17वीं शताब्दी में शुरू हुई थी और तब से मंदिर को कई बार सोने से मढ़ा गया है। स्वर्ण मंदिर का सोना एक पवित्र धातु है और यह भगवान की कृपा का प्रतीक है. स्वर्ण मंदिर को सोने से मढ़ने से सिखों को यह विश्वास होता है कि भगवान उनका आशीर्वाद दे रहे हैं।

स्वर्ण मंदिर में सोने की मात्रा का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है, लेकिन यह अनुमान लगाया जाता है कि मंदिर में लगभग 100 किलोग्राम सोना है. यह सोना मंदिर के गुंबद, दीवारों और अन्य सजावटों में इस्तेमाल किया गया है

स्वर्ण मंदिर का निर्माण 1588 में शुरू हुआ और यह 1604 में पूरा हुआ. मंदिर का निर्माण गुरु अर्जुन देव ने करवाया था, जो सिखों के पांचवें गुरु थे. उन्होंने कहा था कि सभी धर्मों के लोग इस मंदिर में आकर प्रार्थना कर सकते हैं

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